बाघ को मार डालो ; किसानों का आंदोलन ( न्यूज़ पर्पस फोटो ) |
चंद्रपुर जिले के राजुरा तालुका में, एक वाघका आतम फ़ैल ही रहा है। इस वाघ का आतम फैलने से कहीं शेतकरियोने अपनी जान तक गवायी है। मुख्यमंत्री, वन मंत्री, महोदय, हमे बताएं कि हमें कितना और मरना चाहिए, ऐसा गुस्सा सवाल टिक्कड़ के पीड़ित बलिराजा ने पूछा है।
मोबाइल रिपोटर्स के अनुसार - 18 अक्टूबर को दोपहर करीब 3 बजे साऊथ फारेस्ट रिजर्व के तहत साइगाव मैं बाघ के हमले मैं एक किसान फिरसे घायल हो गया है। ( 15 दिनों के बाद 4 थी घटना )
आरटी-वन क्षेत्र मैं बाघ के हमले में आठ किसान मारे गए हैं, जबकि पशुधन को भी भारी नुकसान हुआ है। नतीजतन, किसानों का संयम टूट गया है। एक किसान यूनियन के नेतृत्व में सैकड़ों किसानों ने राजुरा तालुका के विरूर में वन कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें बाघ को मारने की मांग की गई। राजुरा तालुका में आरटी-वन बाघ ने आठ लोगों को मार डाला । इसलिए वन विभाग इस बाघ को पकड़ने की कोशिश कर रहा है। तीन महीने बाद भी वन विभाग को कामयाबी नहीं मिली।
बाघ के डर से किसानों ने खेतों में जाना बंद कर दिया। कपास की कटाई की गई। अनाज की कटाई का वक्त आया है। लेकिन बाघों के डर से खेती में जानेमे बाधा आई है। परिणामस्वरूप फसलों का भारी नुकसान हुआ है। राजुरा तालुका के 28 गांवों के सैकड़ों किसानों और खेतिहर मजदूरों ने किसान संघ के नेतृत्व में आंदोलन में भाग लिया है। किसान नेता एड। वामनराव चटप के नेतृत्व में यह आंदोलन चल रहा है। किसान वन कार्यालय के सामने मांग कर रहे हैं।